200+ Handpicked Sanskrit Slogans

slogans in sanskrit

नास्ति बुद्धिमतां शत्रुः ॥

भावार्थ :
बुद्धिमानो का कोई शत्रु नहीं होता ।

विद्या परमं बलम ॥

भावार्थ :
विद्या सबसे महत्वपूर्ण ताकत है ।

सक्ष्मात् सर्वेषों कार्यसिद्धिभर्वति ॥

भावार्थ :
क्षमा करने से सभी कार्ये में सफलता मिलती है ।

न संसार भयं ज्ञानवताम् ॥

भावार्थ :
ज्ञानियों को संसार का भय नहीं होता ।

वृद्धसेवया विज्ञानत् ॥

भावार्थ :
वृद्ध – सेवा से सत्य ज्ञान प्राप्त होता है ।

सहायः समसुखदुःखः ॥

भावार्थ :
जो सुख और दुःख में बराबर साथ देने वाला होता है सच्चा सहायक होता है ।

आपत्सु स्नेहसंयुक्तं मित्रम् ॥

भावार्थ :
विपत्ति के समय भी स्नेह रखने वाला ही मित्र है ।

मित्रसंग्रहेण बलं सम्पद्यते ॥

भावार्थ :
अच्छे और योग्य मित्रों की अधिकता से बल प्राप्त होता है ।

सत्यमेव जयते ॥

भावार्थ :
सत्य अपने आप विजय प्राप्त करती है ।

उपायपूर्वं न दुष्करं स्यात् ॥

भावार्थ :
उपाय से कार्य कठिन नहीं होता ।

sanskrit slogans with meanings in hindi

विज्ञान दीपेन संसार भयं निवर्तते ॥

भावार्थ :
विज्ञानं के दीप से संसार का भय भाग जाता है ।

सुखस्य मूलं धर्मः ॥

भावार्थ :
धर्म ही सुख देने वाला है ।

धर्मस्य मूलमर्थः ॥

भावार्थ :
धन से ही धर्म संभव है ।

विनयस्य मूलं विनयः ॥

भावार्थ :
वृद्धों की सेवा से ही विनय भाव जाग्रत होता है ।

अलब्धलाभो नालसस्य ॥

भावार्थ :
आलसी को कुछ भी प्राप्त नहीं होता ।

आलसस्य लब्धमपि रक्षितुं न शक्यते ॥

भावार्थ :
आलसी प्राप्त वस्तु की भी रक्षा नहीं कर सकता ।

हेतुतः शत्रुमित्रे भविष्यतः ॥

भावार्थ :
किसी कारण से ही शत्रु या मित्र बनते हैं ।

बलवान हीनेन विग्रहणीयात् ॥

भावार्थ :
बलवान कमज़ोर पर ही आक्रमण करे ।

दुर्बलाश्रयो दुःखमावहति ॥

भावार्थ :
दुर्बल का आश्रय दुःख देता है ।

नव्यसनपरस्य कार्यावाप्तिः ॥

भावार्थ :
बुरी आदतों में लगे हुए मनुष्य को कार्य की प्राप्ति नहीं होती ।

अर्थेषणा न व्यसनेषु गण्यते ॥

भावार्थ :
घन की अभिलाषा रखना कोई बुराई नहीं मानी जाती ।

slogans in sanskrit language

अग्निदाहादपि विशिष्टं वाक्पारुष्यम् ॥

भावार्थ :
वाणी की कठोरता अग्निदाह से भी बढ़कर है ।

आत्मायत्तौ वृद्धिविनाशौ ॥

भावार्थ :
वृद्धि और विनाश अपने हाथ में है ।

अर्थमूलं धरकामौ ॥

भावार्थ :
धन ही सभी कार्याे का मूल है ।

कार्यार्थिनामुपाय एव सहायः ॥

भावार्थ :
उद्यमियों के लिए उपाय ही सहायक है ।

कार्य पुरुषकारेण लक्ष्यं सम्पद्यते ॥

भावार्थ :
निश्चय कर लेने पर कार्य पूर्ण हो जाता है ।

असमाहितस्य वृतिनर विद्यते ॥

भावार्थ :
भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर कुछ भी प्राप्त नहीं होता ।

पूर्वं निश्चित्य पश्चात् कार्यभारभेत् ॥

भावार्थ :
पहले निश्चय करें, फिर कार्य आरंभ करें ।

कार्यान्तरे दीघर्सूत्रता न कर्तव्या ॥

भावार्थ :
कार्य के बीच में आलस्य न करें ।

दुरनुबध्नं कार्य साधयेत् ॥

भावार्थ :
जो कार्य हो न सके उस कार्य को प्रांरभ ही न करें ।

कालवित् कार्यं साधयेत् ॥

भावार्थ :
समय के महत्व को समझने वाला निश्चय ही अपना कार्य सिद्धि कर पता है ।

bhagavad gita slogans in sanskrit

भाग्यवन्तमपरीक्ष्यकारिणं श्रीः परित्यजति ॥

भावार्थ :
बिना विचार कार्य करने वाले भाग्शाली को भी लक्ष्मी त्याग देती है ।

यो यस्मिन् कर्माणि कुशलस्तं तस्मित्रैव योजयेत् ॥

भावार्थ :
जो मनुष्य जिस कार्य में निपुण हो, उसे वही कार्य सौंपना चाहिए ।

दुःसाध्यमपि सुसाध्यं करोत्युपायज्ञः ॥

भावार्थ :
उपायों का ज्ञाता कठिन को भी आसान बना देता है ।

अप्रयत्नात् कार्यविपत्तिभर्वती ॥

भावार्थ :
प्रयास न करने से कार्य का नाश होता है ।

शोकः शौर्यपकर्षणः ॥

भावार्थ :
शोक मनुष्य के शौर्य को नष्ट कर देता है ।

न सुखाल्लभ्यते सुखम् ॥

भावार्थ :
सुख से सुख की वृद्धि नहीं होती ।

स्वभावो दुरतिक्रमः ॥

भावार्थ :
स्वभाव का अतिक्रमण कठिन है ।

मित्रता-उपकारफलं मित्रमपकारोऽरिलक्षणम् ॥

भावार्थ :
उउपकार करना मित्रता का लक्षण है और अपकार करना शत्रुता का ।

सर्वथा सुकरं मित्रं दुष्करं प्रतिपालनम् ॥

भावार्थ :
मित्रता करना सहज है लेकिन उसको निभाना कठिन है ।

ये शोकमनुवर्त्तन्ते न तेषां विद्यते सुखम् ॥

भावार्थ :
शोकग्रस्त मनुष्य को कभी सुख नहीं मिलता ।

सुख-दुर्लभं हि सदा सुखम् ॥

भावार्थ :
सुख सदा नहीं बना रहता है ।

slogans in sanskrit with meaning

सर्वे चण्डस्य विभ्यति ॥

भावार्थ :
क्रोधी पुरुष से सभी डरते हैं ।

मृदुर्हि परिभूयते ॥

भावार्थ :
मृदु पुरुष का अनादर होता है ।

शब्दमात्रात् न भीतव्यम् ॥

भावार्थ :
शब्द – मात्र से डरना उचित नहीं ।

उपायेन हि यच्छक्यं न तच्छक्यं पराक्रमैः ॥

भावार्थ :
उपय द्वारा जो काम हो जाता है वह पराक्रम से नहीं हो पता ।

उपायेन जयो यदृग्रिपोस्तादृड्डं न हेतिभिः ॥

भावार्थ :
उपाय से शत्रु को जीतो, हथियार से नहीं ।

यस्य बुद्धिर्बलं तस्य निर्बुद्धेस्तु कुतो बलम् ॥

भावार्थ :
बली वही है, जिसके पास बुद्धि-बल है ।

न ह्राविज्ञातशीलस्य प्रदातव्यः प्रतिश्रयः ॥

भावार्थ :
अज्ञात या विरोधी प्रवृत्ति के व्यक्ति को आश्रय नहीं देना चाहिए ।

सेवाधर्मः परमगहनो ॥

भावार्थ :
सेवाधर्म बड़ा कठिन धर्म है ।

बलवन्तं रिपु दृष्ट् वा न वामान प्रकोपयेत् ॥

भावार्थ :
शत्रु अधिक बलशाली हो तो क्रोध प्रकट न करे, शान्त हो जाए ।

यद् भविष्यो विनश्यति ॥

भावार्थ :
‘जो होगा देखा जाएगा’ कहने वाले नष्ट हो जाते हैं ।

sanskrit slogans in sanskrit language

बहूनामप्यसाराणां समवायो हि दुर्जयः ॥

भावार्थ :
छोटे और निर्बल भी संख्या में बहुत होकर दुर्जेय हो जाते हैं ।

उपदेशो हि मूर्खणां प्रकोपाय न शान्तये ॥

भावार्थ :
उपदेश से मूर्खो का क्रोध और भी भड़क उठता है, शान्त नहीं होता ।

उपदेशो न दातव्यो यादृशे तादृशे जने ॥

भावार्थ :
जिस-तिसको उपदेश देना उचित नहीं ।

किं करोत्येव पाण्डित्यमस्थाने विनियोजितम् ॥

भावार्थ :
अयोग्य को मिले ज्ञान का फल विपरीत ही होता है ।

उपायं चिन्तयेत्प्राज्ञस्तथा पायं च चिन्तयेत् ॥

भावार्थ :
उपाय की चिन्ता के साथ, दुष्परिणाम की भी चिन्ता कर लेनी चाहिए ।

पण्डितोऽपि वरं शत्रुर्न मूर्खो हितकारकः ॥

भावार्थ :
हितचिंतक मूर्ख की अपेक्षा अहितचिंतक बुद्धिमान अच्छा होता है ।

हेतुरत्र भविष्यति ॥

भावार्थ :
बिना कारण कुछ भी नहीं हो सकता ।

अतितृष्णा न कर्तव्या, तृष्णां नैव परित्यजेत् ॥

भावार्थ :
लोभ तो स्वाभाविक है, किन्तु अतिशय लोभ मनुष्य का सर्वनाश कर देता है।

शत्रवोऽपि हितायैव विवदन्तः परस्परम् ॥

भावार्थ :
परस्पर लड़ने वाले शत्रु भी हितकारी होते हैं ।

स्वजातिः दुरतिक्रमा ॥

भावार्थ :
स्वजातीय ही सबको प्रिय होते हैं ।

slogans on save water in sanskrit language

अनागतं यः कुरुते स शोभते ॥

भावार्थ :
आनेवाले संकट को देखकर अपना भावी कार्यक्रम निश्चित करने वाला सुखी रहता है ।

जानन्नपि नरो दैवात्प्रकरोति विगर्हितम् ॥

भावार्थ :
सब कुछ जानते हुए भी जो मनुष्य बुरे काम में प्रवृत्त हो जाए, वह मनुष्य नहीं गधा है ।

मौंन सर्व थेसाधकम् ॥

भावार्थ :
वाचालता विनाशक है, मौन में बड़े गुण हैं ।

छात्राः अनुशासिताः भवेयुः ॥

भावार्थ :
छात्रों को अनुशासित होना चाहिए ।

धनात् धर्मः भवति ॥

भावार्थ :
धन से धर्म होता है ।

सत्यमेव जयते न अनृतम् ॥

भावार्थ :
सत्य की ही जय होती है असत्य की नहीं ।

अध्ययनेन/अध्ययनं वीना ज्ञानं न भवति ॥

भावार्थ :
अध्ययन के बिना ज्ञान नहीं होता है ।

यः कार्यं न पश्यति सोऽन्धः ॥

भावार्थ :
जो कार्य को नहीं देखता वह अंधा है ।

सदाचारः सर्वेषां धर्माणां श्रेष्ठः अस्ति ॥

भावार्थ :
सदाचार सभी धर्मों में श्रेष्ठ है ।

आचारात् एव बुद्धिः भवति ॥

भावार्थ :
आचार से ही बुद्धि होती है ।

slogans in sanskrit with hindi meaning

परिश्रमस्य फलं मधुरं भवति ॥

भावार्थ :
परिश्रम का फल मीठा होता है ।

अनुशासनेन एव मनुष्यः महान् भवति ॥

भावार्थ :
अनुशाशन से ही मनुष्य महान होता है ।

अपरीक्ष्यकारिणं श्रीः परित्यजति ॥

भावार्थ :
बिना विचारे कार्य करने वाले को लक्ष्मी त्याग देती हैं

स्वजनं तर्पयित्वा यः शेषभोजी सोऽमृतभोजी ॥

भावार्थ :
अपनी शक्ति को जानकर ही कार्य आरंभ करें ।

नास्ति भीरोः कार्यचिन्ता ॥

भावार्थ :
कायर को कार्य की चिन्ता नहीं होती ।

नास्त्यप्राप्यं सत्यवताम् ॥

भावार्थ :
सत्य-सम्पन्न लोगों के लिए कुछ भी दुर्लभ नहीं हैं ।

संस्कृतं देवानं भाषा अस्ति ॥

भावार्थ :
संस्कृत देवताओं की भाषा है ।

संतोषवत् न किमपि सुखम् अस्ति ॥

भावार्थ :
संतोष के समान कोई सुख नहीं है ।

ईश्वरस्य पूजा वृथा न भवति ॥

भावार्थ :
ईश्वर की पूजा व्यर्थ नहीं जाती है ।

संस्कृतं भाषाणां जननी अस्ति ॥

भावार्थ :
संस्कृत भाषाओं की जननी है ।

slogans on save environment in sanskrit language

छात्राणां धर्मः अध्ययनम् अस्ति ॥

भावार्थ :
छात्रों का धर्म अध्ययन है ।

विद्या धनेषु उत्तमा वर्त्तते ॥

भावार्थ :
विद्या धनों में उत्तम है ।

सदा सत्यं वदेत् ॥

भावार्थ :
सदा सत्य बोलना चाहिए ।

छात्रैः परिश्रमेण पठितव्यम् ॥

भावार्थ :
छात्रों को परिश्रम से पढ़ना चाहिए ।

अस्माभिः सदा चरित्रं रक्षणीयम् ॥

भावार्थ :
हमें सदा चरित्र की रक्षा करनी चाहिए ।

विद्यया लभते ज्ञानम् ॥

भावार्थ :
विद्या से ज्ञान की प्राप्ति होती है ।

अस्तयभाषणं पापं वर्तते ॥

भावार्थ :
झूठ बोलना पाप है ।

श्रध्दा ज्ञानं ददाति, नम्रता मानं ददाति, योग्यता स्थानं ददाति ॥

भावार्थ :
श्रद्धा ज्ञान देती है, नम्रता मान देती है और योग्यता स्थान देती है ।

असंहताः विंनश्यन्ति ॥

भावार्थ :
जो लोग बिखर कर रहते है वे नष्ट हो जाते हैं ।

environment slogans in sanskrit

संहतिः कार्यसाधिका ॥

भावार्थ :
मिलजुल कर कार्य करने से कार्य की सिद्धि होती है ।

ईश्वरस्य स्मरणं प्रभाते उत्थाय अवश्यं कर्तंव्यम् ॥

भावार्थ :
सवेरे उठकर ईश्वर का स्मरण अवश्य करना चाहिए ।

अभ्यावहति कल्याणं विविधं वाक् सुभाषिता ॥

भावार्थ :
अच्छी तरह बोली गई वाणी अलग अलग प्रकार से मानव का कल्याण करती है ।

वृध्दा न ते ये न वदन्ति धर्मम् ॥

भावार्थ :
जो धर्म की बात नहीं करते वे वृद्ध नहीं हैं ।

श्रोतव्यं खलु वृध्दानामिति शास्त्रनिदर्शनम् ॥

भावार्थ :
वृद्धों की बात सुननी चाहिए एसा शास्त्रों का कथन है ।

शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् ॥

भावार्थ :
शरीर धर्म पालन का पहला साधन है ।

लोभः प्रज्ञानमाहन्ति ॥

भावार्थ :
लोभ विवेक का नाश करता है ।

लोभमूलानि पापानि ॥

भावार्थ :
सभी पाप का मूल लोभ है ।

अन्तो नास्ति पिपासायाः ॥

भावार्थ :
तृष्णा का अन्त नहीं है ।

मृजया रक्ष्यते रूपम् ॥

भावार्थ :
स्वच्छता से रूप की रक्षा होती है ।

तद् रूपं यत्र गुणाः ॥

भावार्थ :
जिस रुप में गुण है वही उत्तम रुप है ।

सत्यभाषणं पुण्यं वर्तते ॥

भावार्थ :
सच बोलना पुण्य है ।

यशोधनानां हि यशो गरीयः ॥

भावार्थ :
यशरूपी धनवाले को यश हि सबसे महान वस्तु है ।

वरं मौनं कार्यं न च वचनमुक्तं यदनृतम् ॥

भावार्थ :
असत्य वचन बोलने से मौन धारण करना अच्छा है ।

मौनं सर्वार्थसाधनम् ॥

भावार्थ :
मौन यह सर्व कार्य का साधक है ।

कुलं शीलेन रक्ष्यते ॥

भावार्थ :
शील से कुल की रक्षा होती है ।

सर्वे मित्राणि समृध्दिकाले ॥

भावार्थ :
समृद्धि काल में सब मित्र बनते हैं ।

न मातुः परदैवतम् ॥

भावार्थ :
माँ से बढकर कोई देव नहीं है ।

कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥

भावार्थ :
पुत्र कुपुत्र होता है लेकिन माता कभी कुमाता नहीं होती ।

गुरुणामेव सर्वेषां माता गुरुतरा स्मृता ॥

भावार्थ :
सब गुरु में माता को सर्वश्रेष्ठ गुरु माना गया है ।

मनः शीघ्रतरं बातात् ॥

भावार्थ :
मन वायु से भी अधिक गतिशील है ।

मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः ॥

भावार्थ :
मन हि मानव के बंधन और मोक्ष का कारण है ।

भाग्यं फ़लति सर्वत्र न विद्या न च पौरुषम् ॥

भावार्थ :
भाग्य हि फ़ल देता है, विद्या या पौरुष नहीं ।

चराति चरतो भगः ॥

भावार्थ :
चलेनेवाले का भाग्य चलता है ।

सहायास्तादृशा एव यादृशी भवितव्यता ॥

भावार्थ :
जैसी भवितव्यता हो एसे हि सहायक मिल जाते हैं ।

यदभावि न तदभावी भावि चेन्न तदन्यथा ॥

भावार्थ :
जो नहीं होना है वो नहीं होगा, जो होना है उसे कोई टाल नहीं सकता ।

बलवन्तो हि अनियमाः नियमा दुर्बलीयसाम् ॥

भावार्थ :
बलवान को कोई नियम नहीं होते, नियम तो दुर्बल को होते हैं ।

स्वभावो दुरतिक्रमः ॥

भावार्थ :
स्वभाव बदलना मुश्किल है ।

बह्वाश्र्चर्या हि मेदनी ॥

भावार्थ :
पृथ्वी अनेक आश्र्चर्यों से भरी हुई है ।

पितृदोषेण मूर्खता ॥

भावार्थ :
पिता के दोष से हि संतान मूर्ख होती है ।

पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवताः ॥

भावार्थ :
पिता प्रसन्न हो तो सब देव प्रसन्न होते हैं ।

पात्रत्वाद् धनमाप्नोति ॥

भावार्थ :
पात्रता होने से इन्सान धन प्राप्त करता है ।

विनयाद् याति पात्रताम् ॥

भावार्थ :
विनय से इन्सान पात्रता प्राप्त करता है ।

दुःखेनासाद्यते पात्रम् ॥

भावार्थ :
सत्पात्र व्यक्ति मुश्किल से मिलती है ।

 

दैवेन देयमिति कापुरुषा वदन्ति ॥

भावार्थ :
दैव हि सब कुछ देता है एसा कायर लोग कहते हैं ।

हस्तस्य भूषणं दानम् ॥

भावार्थ :
दान हाथ का भूषण है ।

दीयमानं हि नापैति भूय एवाभिवर्तते ॥

भावार्थ :
जो दिया जाता है वह कम नहीं होता बल्कि बढता है ।

गृहेऽपि पज्चेन्द्रियनिग्रहः तपः ॥

भावार्थ :
घर में रहकर पाँचों इन्द्रियों को वशमें रखना तप है ।

जननी जन्मभूमुश्च स्वर्गादपि गरीयसी ॥

भावार्थ :
जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है ।

कृतज्ञः सर्वलोकेषु पूज्यो भवति सर्वदा ॥

भावार्थ :
कृतज्ञ मानवी सर्वदा सर्व लोगों में पूजा जाता है ।

उपायेन हि यच्छक्यं तन्न शक्यं पराक्रमैः ॥

भावार्थ :
जो काम उपाय से हो शकता है वह पराक्रम से नहीं होता ।

नोपकारात् परो धर्मो नापकारादधं परम् ॥

भावार्थ :
उपकार जैसा दूसरा कोई धर्म नहीं; अपकार जैसा दूसरा पाप नहीं ।

कुर्वाणो नावसीदति ॥

भावार्थ :
कुछ न कुछ काम करनेवाला नाश नहीं होता ।

उद्यमे नावसीदति ॥

भावार्थ :
उद्यम करनेवाला नाश नहीं होता ।

सोत्साहानां नास्त्यसाध्यं नराणाम् ॥

भावार्थ :
उत्साही मानव को कुछ भी असाध्य नहीं होता ।

उत्साहवन्तः पुरुषाः नावसीदन्ति कर्मसु ॥

भावार्थ :
उत्साही लोग काम करने में पीछे नहीं हटते ।

कुतो विद्यार्थिनः सुखम् ॥

भावार्थ :
विद्यार्थी को सुख कहाँ ?

किं किं न साधयति कल्पलतेव विद्या ॥

भावार्थ :
कल्पलता की तरह विद्या कौन सा काम नहीं सिध्ध कर देती ?

सा विद्या या विमुक्तये ॥

भावार्थ :
मनुष्य को मुक्ति दिलाये वही विद्या है ।

विद्या योगेन रक्ष्यते ॥

भावार्थ :
विद्या का रक्षण अभ्यास से होता है ।

न नित्यं लभते दुःखं न नित्यं लभते सुखम् ॥

भावार्थ :
किसी को सदैव दुःख नहीं मिलता या सदैव सुख भी लाभ नहीं होता ।

दुःखादुद्विजते जन्तुः सुखं सर्वाय रुच्यते ॥

भावार्थ :
दुःख से मानव थक जाता है, सुख सबको भाता है ।

अनर्थाः संघचारिणः ॥

भावार्थ :
मुश्किलें समुह में हि आती है ।

अपुत्रता मनुष्याणां श्रेयसे न कुपुत्रता ॥

भावार्थ :
कुपुत्रता से अपुत्रता ज़ादा अच्छी है ।

 

ते पुत्रा ये पितुर्भक्ताः ॥

भावार्थ :
जो पितृभक्त हो वही पुत्र है ।

उद्योगसम्पन्नं समुपैति लक्ष्मीः ॥

भावार्थ :
उद्योग-संपन्न मानव के पास लक्ष्मी आती है ।

यत्नवान् सुखमेधते ॥

भावार्थ :
प्रयत्नशील मानव सुख पाता है ।

विद्वानेव विजानाति विद्वज्जन परिश्रमम् ॥

भावार्थ :
विद्वान के परिश्रम को विद्वान हि जानता है ।

विद्वान सर्वत्र पूज्यते ॥

भावार्थ :
विद्वान सब जगह सन्मान पाता है ।

ज्ञात्वापि दोषमेव करोति लोकः ॥

भावार्थ :
दोष को जानकर भी लोग दोष हि करते हैं ।

सर्वो हि मन्यते लोक आत्मानं निरूपद्रवम् ॥

भावार्थ :
सभी लोग अपने आप को अच्छे समझते हैं ।

गतानुगतिको लोकः न लोक़ः पारमार्थिकः ॥

भावार्थ :
लोग देख-देखकर काम करते हैं, वास्तविकता की जाँच नहीं करते ।

को लोकमाराधयितुं समर्थः ॥

भावार्थ :
सभी को कौन खुश कर सकता है ?

चिरनिरूपणीयो हि व्यक्तिस्वभावः ॥

भावार्थ :
व्यक्ति का स्वभाव बहुत समय के बाद पहचाना जाता है

Slogan on cleanliness in sanskrit

शुद्ध:  परिसर: तृप्तिम्  हि  जनयति।

कुक्कुरो अपि शुद्धम् कृत्वैव तिष्ठति।

भवति संमार्जनेन  देहस्य शुद्धि:।

सत्याचरणेन तु मनसःआत्मनः च।।

Slogan on Education in sanskrit

श्रमम विना न किमपि साध्यम
English Meaning – Without Efforts, Nothing is Possible.

तेजस्वि नावधितमस्तु
English Meaning -May your Knowledge become brilliant.

प्रज्ञानं ब्रह्म
English Meaning – Knowledge is the attainment of god.

Sanskrit slogans of govt organizations

भारत सरकार – सत्यमेव जयते

लोक सभा –  धर्मचक्र प्रवर्तनाय

उच्चतम न्यायालय – यतो धर्मस्ततो जयः

आल इंडिया रेडियो – सर्वजन हिताय सर्वजनसुखाय

दूरदर्शन – सत्यं शिवं सुन्दरम्

गोवा राज्य – सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्।

भारतीय जीवन बीमा निगम – योगक्षेमं वहाम्यहम्

डाक तार विभाग – अहर्निशं सेवामहे

श्रम मंत्रालय – श्रम एव जयते

भारतीय सांख्यिकी संस्थान – भिन्नेष्वेकस्य दर्शनम्

थल सेना – सेवा अस्माकं धर्मः

वायु सेना – नभःस्पृशं दीप्तम्

जल सेना – शं नो वरुणः

मुंबई पुलिस – सद्रक्षणाय खलनिग्रहणाय

हिंदी अकादमी – अहं राष्ट्री संगमनी वसूनाम्

भारतीय राष्ट्रीय विज्ञानं अकादमी – हव्याभिर्भगः सवितुर्वरेण्यम्

भारतीय प्रशासनिक सेवा अकादमी – योगः कर्मसु कौशलम्

Sanskrit slogans of famous educational institutions

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग – ज्ञान-विज्ञानं विमुक्तये

नेशनल कौंसिल फॉर टीचर एजुकेशन – गुरुर्गुरुतमो धाम

गुरुकुल काङ्गडी विश्वविद्यालय – ब्रह्मचर्येण तपसा देवा मृत्युमपाघ्नत

इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय – ज्योतिर्व्रणीत तमसो विज्ञानन

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय – विद्ययाऽमृतमश्नुते

आन्ध्र विश्वविद्यालय – तेजस्विनावधीतमस्तु

बंगाल अभियांत्रिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय, शिवपुर – उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान् निबोधत

गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय – आनो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः

संपूणानंद संस्कृत विश्वविद्यालय – श्रुतं मे गोपाय

श्री वैंकटेश्वर विश्वविद्यालय – ज्ञानं सम्यग् वेक्षणम्

कालीकट विश्वविद्यालय – निर्भय कर्मणा श्री

दिल्ली विश्वविद्यालय – निष्ठा धृति: सत्यम्

केरल विश्वविद्यालय – कर्मणि व्यज्यते प्रज्ञा

राजस्थान विश्वविद्यालय – धर्मो विश्वस्य जगतः प्रतिष्ठा

पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान विश्वविद्यालय – युक्तिहीने विचारे तु धर्महानि: प्रजायते

वनस्थली विद्यापीठ – सा विद्या या विमुक्तये।

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् – विद्याsमृतमश्नुते।

केन्द्रीय विद्यालय – तत् त्वं पूषन् अपावृणु

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड – असतो मा सद्गमय

प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, त्रिवेन्द्रम – कर्मज्यायो हि अकर्मण:

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर – धियो यो नः प्रचोदयात्

गोविंद बल्लभ पंत अभियांत्रिकी महाविद्यालय, पौड़ी – तमसो मा ज्योतिर्गमय

मदनमोहन मालवीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय गोरखपुर – योगः कर्मसु कौशलम्

भारतीय प्रशासनिक कर्मचारी महाविद्यालय, हैदराबाद – संगच्छध्वं संवदध्वम्

इंडिया विश्वविद्यालय का राष्ट्रीय विधि विद्यालय – धर्मो रक्षति रक्षितः

संत स्टीफन महाविद्यालय, दिल्ली – सत्यमेव विजयते नानृतम्

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान – शरीरमाद्यं खलुधर्मसाधनम्

विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, नागपुर – योग: कर्मसु कौशलम्

मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान,इलाहाबाद – सिद्धिर्भवति कर्मजा

बिरला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, पिलानी – ज्ञानं परमं बलम्

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर – योगः कर्मसुकौशलम्

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई – ज्ञानं परमं ध्येयम्

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर – तमसो मा ज्योतिर्गमय

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान चेन्नई – सिद्धिर्भवति कर्मजा

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की – श्रमं विना नकिमपि साध्यम्

भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद – विद्या विनियोगाद्विकास:

भारतीय प्रबंधन संस्थान बंगलौर – तेजस्वि नावधीतमस्तु

भारतीय प्रबंधन संस्थान कोझीकोड – योगः कर्मसु कौशलम्

Sanskrit slogans of Indian army units

सेना ई एम ई कोर – कर्मह हि धर्मह

सेना राजपूताना राजफल – वीर भोग्या वसुन्धरा

सेना मेडिकल कोर – सर्वे संतु निरामया 

सेना शिक्षा कोर – विद्यैव बलम्

सेना एयर डिफेन्स – आकाशेय शत्रुन् जहि

सेना ग्रेनेडियर रेजिमेन्ट – सर्वदा शक्तिशालिम्

सेना राजपूत बटालियन – सर्वत्र विजये

सेना डोगरा रेजिमेन्ट – कर्तव्यम् अन्वात्मा

सेना गढवाल रायफल – युद्धया कृत निश्चयः

सेना कुमायू रेजिमेन्ट – पराक्रमो विजयते

सेना महार रेजिमेन्ट – यश सिद्धि?

सेना जम्मू काश्मीर रायफल – प्रस्थ रणवीरता?

सेना कश्मीर लाइट इंफैन्ट्री – बलिदानं वीर-लक्ष्यम्?

सेना इंजीनियर रेजिमेन्ट – सर्वत्र भारतीय तट रक्षक-वयम् रक्षामः

सैन्य विद्यालय – युद्धं प्रगायय?